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चोरों की बारात , एक से एक धुरन्धर

angaare
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न्याय व्यवस्था ने इन्हें दिखला दी औकात,
निकल रही है जेल में, “चोरों की बारात” !
चोरों की बारात , एक से एक धुरन्धर,
अरबों-खरबों गटक गए , अन्दर ही अन्दर !
बहुतों की होने वाली है हालत खस्ता,
सम्मुख बन यमदूत खड़ी है न्याय व्यवस्था !
………………………………
अल्लीबाबा भी गए , चोर गए चालीस,
कहते थे भगवान् हैं, निकले चार सौ बीस !
निकले चार सौ बीस, जेल की रोटी तोड़ें,
वापस संसद में जाने का लालच छोड़ें !
अब तिहाड़ है इन लोगों का काशी-काबा,
वहीँ बैठ भूसा खायेंगे अल्लीबाबा !
………………………………..
वृद्धावस्था में मिली जेल गमन की टीस,
सी० एम० होते थे कभी, अब हैं चार सौ बीस !
अब हैं चार सौ बीस, अकड़ सब झड़ जायेगी,
सब्जी – रोटी – दाल की आदत पड़ जायेगी!
दिला रहे थे पांच रुपये में भोजन सस्ता,
बैठ जेल में काटें अपनी वृद्धावस्था !

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