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बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !

angaare
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टूट रहा जनता का धीरज, लोकतंत्र रोता है !
भंवरजाल में फँसी नाव, आगे गहरा गोता है !
सिसक रही जनता को आगे बढ़ कर धीर बँधाओ !
बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !
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बढ़ो ! बढ़ो ! देखो, भारत का जन-जन ताक रहा है !
तुम सा नेता पा वह खुद को, अर्जुन आँक रहा है !
“सही समय पर सही वार” की नीति सदा अपनाओ !
बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !
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शूरवीर सेना की छाती चौड़ी हो जायेगी !
दुश्मन की सेना अपनी करनी का फल पायेगी !
झुके हुए लज्जित मुख पर फिर से मुस्कान खिलाओ !
बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !
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वीर भला कब आन मानता है तोपों, गोलों का !
रोक सका है राह कौन आँधियों और शोलों का !
लहू उबलने लगे धमनियों में, कुछ ऐसा गाओ !
बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !
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युवा शक्ति के अद्भुत कौशल का, अद्भुत प्रतिभा का !
मूल्यांकन न्यायोचित होगा, विधा और अविधा का !
“मैडल” या “सम्मान” उचित हकदारों तक पहुँचाओ !
बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !
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महंगाई से त्रस्त प्रजा के प्राण हलक में अटके !
संसद में बैठे नेता गण उचित राह से भटके !
भ्रष्ट दागियों को तिहाड़ के अन्दर तक पहुँचाओ !
बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !
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टूट रहा परिवार, हो रहे हैं दुश्मन नर – नारी !
गली-गली में “मधुशाला” है, गली-गली व्यभिचारी !
माया के इस कपट-जाल से जन को त्राण दिलाओ !
बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !
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बढ़ो ! बढ़ो ! माता कातर नयनों से देख रही है !
कल की रानी, दासी बन बेबस सी आज पड़ी है !
चिंगारी शोला बन उमड़े, ज्वाला वह धधकाओ !
बढ़ो ! तिरंगा लिये हाथ में, मोदी दिल्ली जाओ !
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आज तुम्हारे साथ खड़ा बूढ़ा-जवान और बच्चा !
सदियों बाद सपूत मिला, भारत माता को सच्चा !
घटाटोप अंधियारे में, आशा का दीप जलाओ !
बढ़ो ! हाथ में लिए तिरंगा, मोदी दिल्ली जाओ !
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