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ये पूरा हिन्दुस्तान बेंच सकते हैं !

angaare
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दो मन ललाट पर लेप लगा चन्दन का ! मिथ्या आडम्बर करते ईश-भजन का ! परिधान पहन कर गेरुआ इठलाते हैं ! मूर्खों में इनके पद पूजे जाते हैं ! . इनके उर में बस कपट भाव ही मिलता ! करते समाज की नहीं तनिक भी चिंता ! हिन्जड़ों जैसा ये हाव भाव दिखलाते ! बेटी-बेटी कह बलात्कार कर जाते ! . जनता को राह दिखाते सत्कर्मों का ! जो मीठा जहर पिलाते हैं धर्मों का ! ये फ़िल्मी धुन पर भजन किया करते हैं ! नित मद्य-मांस का पथ्य लिया करते हैं ! . साहित्य और संस्कृति से इनका नाता ! रत्ती भर को भी कभी नहीं जुड़ पाता ! जो मंत्र पाठ भी शुद्ध नहीं कर पाते ! हैं अज्ञानी, पर तनिक नहीं शरमाते !! . ये पाखंडी सत्कर्म भला क्या जानें ? ये मूर्ख वेद का मर्म भला क्या जानें ! ये चिकने घट हैं, शर्म भला क्या जानें ? ये रंगे स्यार हैं, धर्म भला क्या जानें ? . कर देख लिखा मस्तक में क्या बतलाते ! कैसे हैं नर के ग्रह - नक्षत्र समझाते ! अपनी विपत्तियाँ नहीं जान पाते हैं ! ये धर्म बेंच कर भीख मांग खाते हैं ! . ये लहू चूसते भोले - भाले नर का ! ले रहे लाभ हैं अपने आडम्बर का ! ये राह स्वर्ग का सबको दिखलाते हैं ! पर स्वयं व्याधि से ग्रस्त हुए जाते हैं ! . ये बैठ मठों में बीज पाप का बोते ! अपने उर के भीतर का कलुष न धोते ! मुख से निशदिन ये राम नाम गाते हैं ! पर नहीं किसी के कभी काम आते हैं ! . ये पूजा का सामन बेंच सकते हैं ! ये माता का परिधान बेंच सकते हैं ! पैसा पाकर ईमान बेंच सकते हैं ! ये पूरा हिन्दुस्तान बेंच सकते हैं ! ---------

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